बकरीद की नमाज
Bakrid Ki Namaj का तरीका जानने से पहले आईये बकरीद के बारे में जानें. ईद (ईदुल फ़ित्र ), बकरीद (ईदुल अजहा) और मुहर्रम इस्लाम धर्म के मुख्य त्यौहार हैं. रमज़ान के एक महीने के रोज़े रखने के बाद ईद मनाई जाती है. ईद के लगभग दो महीने दस दिन पर बकरीद का त्यौहार आता है. आदम अलैहिस्सलाम से लेकर आखिरी पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम तक लगभग सवा लाख पैगम्बर हुए. उन्ही में से एक पैगम्बर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम थे. इनकी तक़वा और परहेजगारी अल्लाह को बहुत पसंद थी. बकरीद का त्यौहार इन्ही के त्याग और बलिदान के कारण शुरू हुआ. बकरीद के दिन नमाज पढ़ी जाती है और क़ुरबानी की जाती है.
क़ुरबानी क्यों की जाती है?
हज़रत इब्राहीम अ. ने ख्वाब में देखा कि वे अपने बेटे को अल्लाह राह में कुरबान कर रहे हैं. बेटे को जब ये बात बताये और उसकी राय जानना चाहे तो बेटा तुरंत तैयार हो गया. उसने कहा जब अल्लाह का हुक्म है तो आप जरुर पूरा कीजिये. “इंशा अल्लाह आप मुझे सब्र करने वालों में से पाएंगे.” (कुरान: सुरह न. 37 आयत न. 102). इब्राहीम अ. ने जब आँख पर पट्टी बांधकर बेटे के गले पर छुरी चलाया तो कुर्बानी तो हो गई मगर जब आँख पर से पट्टी हटाया तो देखा कि बेटे की जगह एक दुम्बा की कुर्बानी हुई. अल्लाह के तरफ से उनके फ़रिश्ते ह. जिब्रील अ. एक दुम्बा लेकर आये थे. उन्होने बाताया कि अल्लाह ताला ने आपका इम्तहान लिया और आप कामयाब हुए. तभी से इस्लाम धर्म में क़ुरबानी की शुरुआत हुई.
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बकरीद की नमाज का तरीका
साल में सिर्फ एक बार बकरीद की नमाज पढ़ी जाती है. इसलिए इस नमाज का तरीका ज्यादातर लोग भूल जाते हैं. यहाँ पर पूरी तफसील से बकरीद की नमाज का तरीका बताया जा रहा है.
बकरीद की नमाज का नियत
वजू के साथ गुसुल करके, नए या पुराने कोई भी साफ़ सुथरा कपड़े पहन कर इत्र लगा कर ईदगाह पहुँचें. नमाज का वक़्त होने पर खड़े हो जाएँ. तकबीर के बाद इस तरह से नियत करें.
“नियत करता हूँ मै दो रकात नमाज वाजिब ईदुल अजहा की, छ: ज़ायद तक्बिरों के साथ, वास्ते अल्लाह ताला के, पीछे पेश इमाम के, मुह मेरा काबे शरीफ की तरफ”
इमाम अल्लाहु अकबर कहें तो सब के साथ आप भी दोनों हाथ कानों तक ले जाकर वापस लाकर हाथ बांध लें.
पहली रकात
हाथ बांध लेने के बाद सना पढ़िए -” सुबहान कल्ला हुम्मा वबेहम्देका वत्बारा कस्मोका वत आला ज़द्दोका वला इलाह गैरोका.”
फिर इमाम तीन बार तकबीर ( अल्लाहु अकबर ) कहेंगे.
पहली बार जब इमाम तकबीर “अल्लाहु अकबर ” कहें तो दोनों हाथ कानों के तक ले जाकर, हाथ नीचे लाकर छोड़ दीजिये.
जब इमाम दूसरी तकबीर”अल्लाहु अकबर” कहे तो फिर दोनों हाथ कानों तक ले जाकर छोड़ दीजिये.
जब इमाम तीसरी तकबीर “अल्लाहु अकबर कहें तो दोनों हाथ कानों तक ले जाकर वापस लायें और हाथ बांध लें.
इसके इमाम सुरह फातिहा और एक सुरह पढ़ कर अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जायेंगे. आप भी साथ में रुकू में जाएँ. रुकू में तीन बार पढ़िए- “सुबहान रब्बियल अज़ीम”, “सुबहान रब्बियल अज़ीम”, “सुबहान रब्बियल अज़ीम “
रुकू के बाद इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े होंगे. उनके साथ आप भी खड़े हो जाएँ. फिर इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जायेंगे. आप भी साथ साथ सजदे में जाएँ. सजदे में तीन बार पढ़िए- “सुबहान रब्बियल आला”, “सुबहान रब्बियल आला”, “सुबहान रब्बियल आला”.
पहला सजदा के बाद इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जायेंगे. आप भी वापस बैठे. फिर इमाम के साथ दूसरा सजदा करें और सजदे में फिर तीन बार पढ़े- “सुबहान रब्बियल आला”, “सुबहान रब्बियल आला”, “सुबहान रब्बियल आला”
दो सजदे के बाद इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़ा होंगे आप भी साथ-साथ खड़े हो जाएँ.
दूसरी रकात
इमाम सुरह फातिहा और कोई सुरह पढेंगे. उसके बाद तीन बार तकबीर कहेंगे- अल्लाहु अकबर.
पहली तकबीर – “अल्लाहु अकबर” कहते हुए इमाम के साथ दोनों हाथ कानों तक ले जाकर छोड़ दें.
दूसरी तकबीर – “अल्लाहु अकबार” कहते हुए इमाम के साथ आप भी दोनों हाथ कानों तक लेजाकर छोड़ दें.
तीसरी तकबीर – “अल्लाहु अकबर” कहते हुए इमाम के साथ आप भी दोनों हाथ कानों तक लेजाकर छोड़ दें.
अब इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जायेंगे, आप भी रुकू में जाएँ.
रुकू में तीन बार पढ़ें – “सुबहान रब्बियल अज़ीम”, “सुबहान रब्बियल अज़ीम”, “सुबहान रब्बियल अज़ीम”
रुकू के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए इमाम खड़े होंगे, आप भी साथ-साथ खड़े हों.
इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे में जायेंगे, आप भी साथ-साथ सजदे में जाएँ.
सजदे में तीन बार पढ़ें – “सुबहान रब्बियल आला”, “सुबहान रब्बियल आला”, “सुबहान रब्बियल आला”
इमाम एक सजदे के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जायेंगे, आप भी बैठ जाएँ.
इमाम अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरे सजदे में जायेंगे, आप भी सजदे में जाएँ.
सजदे में तीन बार पढ़े – “सुबहान रब्बियल आला”, “सुबहान रब्बियल आला”, “सुबहान रब्बियल आला”,
इमाम सजदे के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जायेंगे, आप भी बैठ जाएँ. दोनों हाथ जांघ पर रखें और तहियात पढ़ें-
“अत्तहिय्यतो लिल्लाहि वस्सलवातो, वत्तैय्याबातो। अस्सलामो अलैका अइय्योहन्नबियो। वरहमतुल्लाहि व बराकातहु। अस्सलामो अलैना व आला ऐबादिस्सालेहींन। अश्हदु अल्ला इलाह इल्ललाहु (कहते हुए शहादत की उंगली इंडेक्स फिंगर ऊपर सीधा सामाने की तरह इशारा करते हुए उठायें ) व अश्हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुह व रसूलुहु”.
फिर दरूद शरीफ पढ़ें
अल्ला हुम्मा बारीक, अला मुहम्मदीव व अल्ला आले मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहिम व आला आले इब्राहिम इन्नका हमीदुम्मजीद.
दरूद पढ़ने के बाद ये दुआ पढ़ें
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